आज इन आँखों में कुछ नमी सी है
आज फ़िर महसूस हुई कुछ कमी सी है
तुम बिन दिल की धड़कन कुछ थमी सी है
इस दर्द को मिटा पाना कठिन सा है
इस मन को समझा पाना कठिन सा है
अपने प्रेम को छुपा पाना कठिन सा है
क्यूँ बिछड़ने के लिए मिलते है हम?
क्यूँ हमेशा साथ नहीं होते है हम?
क्यूँ मिलकर बिछड़ ही जाते है हम?
एक दीया जलाया था मन में विश्वास लिए
हम साथ रहेंगे इस बात की एक आस लिए
तुम पास रहो तो जलाते रहेंगे रोज़ दीये
तुम बिन मन की सारी बातें अधूरी है
तुम बिन खुशियाँ और ख्वाहिशें अधूरी है
तुम बिन मेरी ये कविता भी तो अधूरी ही है...!!!
Superb.. :)) Beautiful explanation of emptiness..& Using the right combination of words.. Beautiful :)
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ReplyDeleteSomething is missing here. Maybe that's the gist and I actually feel the adhurapan.
ReplyDeleteNice pic!
@Poonam: Shukriya Shayar Sahiba :)
ReplyDelete@Yash: Thanks buddy! Yeah, thats the essence of it... M glad you felt it too ;)