Sunday, July 10, 2016

ज़रा सा वक़्त!


















छोटे छोटे खिलौनों के लिए ज़िद करते थे ,
आज खुद ले सकते हैं पर चाह बदल गयी,
अब तो मन चाहता है कि यादों के समंदर में गोता लगाओ,
और ढूँढके सारे ख़ज़ाने वापिस लाओ!

जिनसे हक़ से लड़ते थे वो इंसान वापिस लाओ,
पुरानी डायरी में लिखी हुई वो तारीख वापिस लाओ,
हँसते खेलते बीती हुई वो शाम वापिस लाओ,
छोटी छोटी बातों पे मिले वो इनाम वापिस लाओ!

और गोते लगाके ले आओ गुज़रा वक़्त,
क़ाश हम बंद करें घड़ी और थम जाए वो वक़्त,
जिस याद में हो हम गुम, ले जाए वहीँ वो वक़्त,
जब तक मन ना भर जाए, रुक जाए ज़रा सा वक़्त!

लम्बे लम्बे सालों से बस कुछ पल वापिस चाहते हैं,
हमेशा के लिए ना सही, तो उधार ही चाहते हैं,
हम कौनसा वक़्त अपने साथ ले जाना चाहते हैं,
बस उन खुशियों का एहसास दोबारा चाहते हैं!

(Can't stop being in awe about the speed of passage of time)

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